Saturday, August 6, 2011

कैसे हो अब अल्ला-हाफिज़ ,कैसे बचाएं अब श्री राम

मानव की घनघोर बहस को , दूर से देखे अल्ला -राम
पुण्य धरा भी है अचरज में , किसका हक और किसका नाम

धर्म बनावे मंदिर-मस्जिद, अब मंदिर-मस्जिद ही धर्म भये
श्रद्धा बस कंकर ,पत्थर में , हमको मानव से क्या काम

बाट बाट कर नरक बना दे , यदि इनको कोई स्वर्ग मिले
कोई पुण्य कहे कोई पाप कहे ,जारी विवाद अब भी अविराम

अपने दिल से ईश निकाले ,और कचहरी ले आये
कैसे हो अब अल्ला-हाफिज़ ,कैसे बचाएं अब श्री राम

हर दिल में भगवान् बसे तो मंदिर मस्जिद का क्या काम
इसान बनो ,कुरान पढो , या जोर से बोलो जय श्री राम


ANSH

मज़ार - ए -इश्क

जिनके दरवाज़े कभी खुले थे अदब से मेरे आगे,
उन महलो की खिड़कियाँ मै दूर से देखा करता हूँ.
जिन गलियों में हुआ करती थी कभी उम्मीद मुलाकात की
अब भी उन गलियों से मै , अक्सर गुज़रा करता हूँ
नहीं उम्मीद कोई न ही कोई अरमान ही रहे बाकी
न मौत आई न जिंदगी में तुझसा सनम आया
भूला सकू वो राहे, वो यादे यूँ ही
दीवाने में ना अबतक इतना दम आया
मज़ार - ए -इश्क पर मै रोज़ चढ़ता हूँ उतरता हूँ
ना चाह कर भी तेरी गली से मै रोज़ गुजरता हूँ

ANSH

विवाद

धर्म क्या , अधर्म क्या ,जाती समाजवाद क्या
विवाद रस का पान कर, हर वाद पर विवाद हो

कोटि कोटि पग यहाँ, करोड़ राहो पर चले
मंजिलो को भूलकर , हर राह पर विवाद हो

बिजली ,सड़क और नौकरी ,प्रश्न है बड़े बड़े
उत्तर महत्वहीन है, पर प्रश्न पर विवाद हो

सर्वोच्च लोकतंत्र मे , विवाद ही अधिकार है
फूँक दो कर्त्तव्य को, अधिकार पर विवाद हो

राम और रहीम दोनों , एक पक्ष में खड़े
फिर भी क्यों न हम लड़े, हर पक्ष पर विवाद हो

ANSH

पहचान मै ही हूँ

मेरे सफ़र में भी , बड़ी मुश्किल सी राहें है
कहीं पर बीच सहरा में , खुश्क प्यासी निगाहें है
न है फरियाद कोई ,ना कोई शिकवा खुदाई से
तकदीर की मुफलिसी पर, हम फिर मुस्कुराएँ है
मिले सड़क पर दीवाना कोई हसता हुआ खुद पर
रुक कर ज़रा रुख देख और पहचान मै ही हूँ

कभी तेरी परस्ती मै जिसे काफिर कहे दुनिया
इस बेजान मुफलिस को भी अब कातिल कहे दुनिया
कभी यादों की गलियों मै पुकारे प्यार से कोई
मुड कर ज़रा रुख देख और पहचान मै ही हूँ


कभी जो याद आ जाये तुझे टूटे हुए नाते
कभी कह जाये दिल तुझसे कुछ अनसुनी बातें
किसी याद का दिल से अगर अफ़सोस हो तुझको
किसी की याद की भी जब कमी महसूस हो तुझको
कर बंद आँखें ,और ज़रा सा मुस्कुरा तू अंश
तेरे दिल मै बसी खोयी हुई वो याद मै ही हूँ


ANSH