Saturday, September 18, 2010

मुश्किल

आड़ी तिरछी ऊँची नीची ,किस्मत से मत लेना पंगा
इस कलयुग की मरुभूमि में जो बह जाए वो है गंगा
एक डुबकी से चाहे पाप धुले , पर पुण्य कमाना मुश्किल होगा
जीवन के दामन में लगे ये दाग छुपाना मुश्किल होगा

लाखों है यहाँ चेहरे मोहरे ,कुछ हसते है ,कुछ रोते है
पैमाने में डूबे सब है हर सुख दुःख मय से धोते है
इस मय से बे होश हुए तो , होश में लाना मुश्किल होगा
जीवन के दामन में लगे ये , दाग छुपाना मुश्किल होगा १

गली गली ,गुंचे गुंचे में , अज्ञानी है ज्ञान बाटते
अभिमान की पोथी पढ़कर ये मुरख विज्ञान बाटते
इन अभिमानी अविग्यानियों से , ज्ञान बचाना मुश्किल होगा
जीवन के दामन में लगे ये , दाग छुपाना मुश्किल होगा २

छंद छंद विछंद हुआ हूँ , आहें भरकर रह जाता हूँ
छंद है छोटा बात बड़ी है, इसीलिए कह न पाता हूँ
आज की बाते आज ही सुन लो , कल फिर कहना मुश्किल होगा
जीवन के दामन में लगे ये , दाग छुपाना मुश्किल होगा ३

अंश